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10 व 11 मार्च को है संकष्टी गणेश चतुर्थी, दूध से करें गणेश व शिवलिंग का अभिषेक, शुक्र होगा मजबूत 10 Mar 2023

पंचांग भेद की वजह से चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी शुक्रवार, 10 मार्च और शनिवार 11 मार्च को है। इस तिथि पर गणेश जी के लिए व्रत-उपवास किया जाता है। चैत्र मास हिन्दी पंचांग का पहला महीना है। 10 मार्च को भगवानों गणेश  के साथ शिवलिंग के रूप में शुक्र देवता की पूजा करने से लाभ मिलेगा। साथ ही 11 मार्च को भगवानों गणेश के साथ शनिदेव की पूजा करने से शुभ योग बनेगा।

जिन क्षेत्रों में 10 मार्च को चतुर्थी मनाई जा रही है, उनके लिए शुक्रवार को चतुर्थी होने से इस दिन गणेश जी के साथ ही महालक्ष्मी और शुक्र ग्रह की पूजा करने का शुभ योग बन रहा है। जिन क्षेत्रों में शनिवार को चतुर्थी मनाई जाएगी, वहां के लोग गणेश जी के साथ ही शनिदेव की भी विशेष पूजा जरूर करें। वहीं 11 मार्च को बन रहे इस शुभ संयोग का फल प्राप्त करके आप गणेश जी और शनिदेव महाराज दोनों का आशीर्वाद ले सकते हैं। इस 11 मार्च शनिवार के दिन भालचन्द्र संकष्टी चतुर्थी भी पड़ रही है। इस दिन आप गणेश जी की पूजा करके इनको प्रसन्न कर सकते हैं।

ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, शुक्रवार को चतुर्थी होने से का कारक ग्रह शुक्र है। इस दिन देवी लक्ष्मी की भी विशेष पूजा की जाती है। शुक्रवार और चतुर्थी का योग होने से इस दिन गणेश जी के साथ ही लक्ष्मी जी और शुक्र ग्रह के लिए भी विशेष पूजा-पाठ करना चाहिए। जानिए गणेश जी, महालक्ष्मी और शुक्र ग्रह की पूजा कैसे कर सकते हैं।

चतुर्थी पर भगवान गणेश की मूर्ति को जल, दूध और पंचामृत से स्नान कराएं। पंचामृत दूध, दही, घी, मिश्री और शहद मिलाकर बनाएं। गणेश जी को जनेऊ पहनाएं। अबीर, गुलाल, चंदन, सिंदूर, इत्र, दूर्वा आदि चढ़ाएं। वस्त्र अर्पित करें। फूलों से श्रृंगार करें। लड्डुओं का भोग लगाएं। कर्पूर जलाकर आरती करें। पूजा के बाद जानी-अनजानी गलतियों के लिए गणेश जी से क्षमा मांगे। इसके बाद प्रसाद बांटें और खुद भी ग्रहण करें।

महालक्ष्मी के साथ ही विष्णु जी की भी पूजा करनी चाहिए। विष्णु-लक्ष्मी की प्रतिमा का अभिषेक करें। पीले नए वस्त्र अर्पित करें, हार-फूल से श्रृंगार करें। तुलसी के साथ मिठाई का भोग लगाएं। धूप-दीप जलाकर आरती करें और ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जप करें।

शुक्र ग्रह की पूजा शिवलिंग रूप में की जाती है। इसलिए शुक्रवार को शिवलिंग पर दूध चढ़ाएं, इसके लिए चांदी के लोटे का उपयोग करेंगे तो बेहतर रहेगा। इसके बाद जल चढ़ाएं। शिवलिंग का सफेद फूल और बिल्व पत्र से श्रृंगार करें। धतूरा, आंकड़े के फूल भी चढ़ाएं। धूप-दीप जलाकर आरती करें। ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जप करें। शुक्र ग्रह के लिए दूध का दान भी करें।

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