ब्रज में आज खेली गई चप्पल मार होली, बलदाऊ और कृष्ण की होली से पड़ी ये परंपरा
06 Mar 2023
उत्तर प्रदेश के मथुरा के ब्रज में हर पर्व खास होता है। होली ब्रज में विशेष स्थान रखती है। सौंख क्षेत्र के बछगांव में चप्पल मार होली खेली जाती है । बड़ों के पैर छूकर आशीर्वाद ले एक-दूसरे पर चप्पल बरसाते हैं । धुलेंडी के दिन सुबह 11 बजे गांव में टोली निकलती है ।
बता दें, सौंख क्षेत्र के गांव बछगांव में धुलेंडी के दिन ये होली खेली जाती है। परंपरा की नींव कैसे पड़ी, क्यों चप्पल मार होली खेली जाती है, इसका ठोस जवाब किसी के पास नहीं है, सबके अपने-अपने तर्क हैं। लेकिन चप्पल मार होली की परंपरा दशकों से निभाई जा रही है। बड़े को छोटे पैर छूकर आशीर्वाद लेते हैं और हम उम्र एक-दूसरे को चप्पल मारकर होली खेलते हैं।
धुलेंडी के दिन सुबह 11 बजे गांव में टोली निकलती है। इसी के साथ शुरू हो जाती है चप्पल मार होली। गांव के बुजुर्ग कहते हैं कि वह बचपन से धुलेंडी होली के दिन चप्पल मार होली देखते आ रहे हैं। अपनी जवानी के दिनों में इस होली के सहभागी भी रहे। गांव के लक्ष्मन कहते हैं कि बुजुर्ग बताते थे कि चप्पल मार होली की परंपरा बलदाऊ और कृष्ण की होली से पड़ी। होली पर कृष्ण को बलदाऊ ने प्यार में चप्पल मार दिया था। बस इसी परंपरा को धुलेंडी होली के दिन बछगांव निभाता है।
लड्डू होली। बरसाना, नन्दगांव में लठामार होली। रावल में लठामार होली। गोकुल में छड़ीमार होली। नौहझील में कीचड़ होली। कृष्ण से गुलाल होली।। फूलों की होली। ग्राम प्रधान मंजू चौधरी बताती हैं कि गांव के बाहर ब्रजदास महाराज का मंदिर है। होली के दिन गांव के किरोड़ी और चिरंजी लाल वहां गए। महाराज की खड़ाऊ अपने सिर पर रख ली, उसके बाद उनकी उन्नति हुई। चप्पलमार होली की परंपरा यहीं से पड़ी। ग्राम प्रधान कहती हैं कि सबसे अच्छी बात ये है कि चप्पल मार होली को लेकर आज तक कोई विवाद गांव में नहीं हुआ।
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