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गोरखपुर में मारवाड़ी परंपरा से जलेगी होलिका, सजधज कर होलिका की पूजा करेंगी महिलाएं 06 Mar 2023

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में मारवाड़ी समाज की परंपरा इस होलिका पर भी जीवंत होगी। महिलाएं सोमवार यानी आज घर में और होलिका दहन स्थल पर होलिका की विधि-विधान से पूजा-अर्चना कर मंगल कामना करेंगी। गोबर से विविध प्रकार की चीजें घर-घर में बनाई गई हैं, जिसे होलिका माता को अर्पित कर मंगल कामना की जाएगी। घर में बड़कुला (गोबर का कंडा जिसमें बीच में छेद होता है), सूर्य, चांद, सोपारी, होलिका व उनकी जीभ, नारियल, ढाल-तलवार की पूजा कर उन्हें होलिका माता को अर्पित किया जाएगा।

हर मारवाड़ी घर में 20 दिन पहले बड़कुला बनाने की शुरुआत हो गई थी। हर घर में लगभग पांच सौ बड़कुले बनाए गए हैं। उनके बीच में छेद है। उन्हें रोली, मेंहदी, हल्दी व आटे से सजाया गया है। इसके बाद मूंज की रस्सी में उन्हें माला की तरह पिरोया जाएगा। रंगभरी एकादशी के दिन होलिका माता, सूर्य, चांद, ढाल-तलवार, 13 सोपारी, नारियल, होलिका माता की जीभ आदि गोबर से बनाई गई। सोमवार को होलिका माता के सामने बड़कुलों की माला रखकर शाम को पूजा की जाएगी।

इसके बाद महिलाएं राजस्थानी चुनरी में सज कर होलिका दहन स्थल पर जाएंगी। वहां पूजा करेंगी और गोबर से बनी सभी सामग्री के अलावा मूंगफली, रेवड़ी आदि अर्पित करेंगी। वहां से ढाल व सोपारी लेकर घर वापस आएंगी, उन्हें एक साल के लिए सुरक्षित रख दिया जाएगा। साथ ही घर में सात बड़कुले शीतला माता को अर्पित किए जाएंगे, जिन्हें शीतलाष्टमी के दिन शीतला माता मंदिर में भेज दिया जाएगा। माना जाता है कि इससे घर की सुरक्षा होती है और सुख-शांति प्राप्त होती है।

मारवाड़ी घरों में होलिका दहन की शाम विविध प्रकार के राजस्थानी व्यंजन बनाए जाएंगे। बड़ा, सांगर की सब्जी बनाई जाएगी। सांगर राजस्थान से मंगाया गया है। कैरफली, ज्वारफली, पापड़, रोटी, दाल, चावल आदि बनाए जाएंगे। होली के दिन भी विविध प्रकार के व्यंजन तैयार किए जाएंगे।

बेतियाहाता की बबिता जालान ने बताया कि घर की सुरक्षा व सुख-शांति के लिए होलिका माता की पूजा की जाती है। हम लोग राजस्थान से यहां चले आए लेकिन अपनी परंपरा को जीवित रखे हुए हैं। यह परंपरा बहुत पुरानी है, इसके बारे में कुछ भी पता नहीं कि कब शुरू हुई। मान्यता है कि इस दिन होलिका माता की पूजा करने और घर में ढाल व सोपारी रखने से घर की सुरक्षा होती है।

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